BA Semester-5 Paper-2B History - Socio and Economic History of Medieval India (1200 A.D-1700 A.D) - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.)

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2788
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व प्रशासन का कालक्रम विस्तार से समझाइए।

उत्तर -

मुगलों का भू-राजस्व प्रशासन

विभिन्न ऐतिहासिक स्रोतों के माध्यम से मुगलकालीन खालसा भूमि से संबद्ध राजस्व प्रशासन व्यवस्था के विषय में पर्याप्त जानकारी प्राप्त होती है। परन्तु जागीर प्रशासन के विषय में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। चूंकि जागीरदारों का स्थानांतरण दो या तीन वर्षों में हो जाता था, अतः उन्हें स्थानीय लोगों की राजस्व प्रदान करने की सामर्थ्य और स्थानीय प्रथाओं का कोई ज्ञान नहीं होता था। इस प्रकार की जानकारी प्राप्त करने के लिए उन्हें स्थानीय अधिकारियों की सहायता लेनी पड़ती थी। राजस्व के क्षेत्र में हमें तीन प्रकार के पदाधिकारियों का पता चलता है-

(क) जागीरदारों के कर्मचारी और प्रतिनिधि;

(ख) स्थाई स्थानीय पदाधिकारी जो अधिकांशत: अनुवांशिक होते थे। जागीरदारों के स्थानांतरण से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता था; और

(ग) जागीरदारों की सहायता करने और उन्हें नियंत्रण में रखने के लिए केन्द्रीय पदाधिकारी।

ग्रामीण स्तर पर अनेक राजस्व पदाधिकारी थे-

(1) करोड़ी - 1574-75 में करोड़ी के पद का निर्माण किया गया। उसके कर्तव्यों का वर्णन करते हुए अबुल फजल कहते हैं कि वह राजस्व के निर्धारण और वसूली दोनों का प्रभारी था। शाहजहाँ के शासनकाल में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन आया। अब प्रत्येक महल (राजस्व क्षेत्र) में अमीनों की नियुक्ति की गई और उन्हें कर निर्धारण का कार्य सौंपा गया। इस परिवर्तन से अब करोड़ी (या आमिल) का दायित्व अमीन द्वारा निर्धारित राजस्व को वसूल करने तक सीमित रह गया।

प्रांत का दीवान करोड़ी को नियुक्त करता था। यह आशा की जाती थी कि वह किसानों के हितों का ख्याल रखेगा। करोड़ी और उनके कर्मचारियों द्वारा वसूली गयी वास्तविक राशि की जांच गांव के पटवारी के कागजों की सहायता से की जाती थी।

(2) अमीर - अमीर दूसरा प्रमुख राजस्व पदाधिकारी था। जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं अमीर का पद शाहजहाँ के शासन काल में निर्मित किया गया था। उसका मुख्य कार्य राजस्व निर्धारण करना था। उसकी भी नियुक्ति दीवान करता था। करोड़ी और फौजदार के साथ-साथ वसूले गये राजस्व को सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी भी उनकी थी। प्रांत का फौजदार, अमीर और करोड़ी की गतिविधियों पर निगरानी रखता था। वह उनकी पदोन्नति की अनुशंसा भी किया करता था।

(3) कानूनगो - यह परगने का स्थानीय राजस्व पदाधिकारी था और आमतौर से वह लेखपाल या लेखा जोखा करने वाले वर्गों या जातियों में से नियुक्त किया जाता था। यह अनुवांशिक पद था, परन्तु प्रत्येक नये व्यक्ति की नियुक्ति के लिए पृथक् राजकीय आदेश आवश्यक था।

निगारनामा - ए मुंशी का लेखक कानूनगो को भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराता था क्योंकि 'उन्हें स्थानांतरित या पदच्युत होने का कोई भय नहीं था। लेकिन भ्रष्टाचार या कर्तव्य विमुखता का आरोप सिद्ध होने पर राजकीय आदेश से उन्हें हटाया भी जा सकता था। राजस्व रसीदों, भूमि के माप सम्बन्धी आंकड़ों, स्थानीय राजस्व दरों और परगने के रीति-रिवाजों से संबद्ध कागजातों को व्यवस्थित करके रखना कानूनगो का मुख्य कार्य था। आमतौर पर यह माना जाता था कि कानूनगो को अगर पिछले सौ वर्षों का राजस्व आँकड़ा प्रस्तुत करने को कहा जाए, तो उसे ऐसा करने में सक्षम होना चाहिए।

जागीरदारों के प्रतिनिधि या कर्मचारी आमतौर पर स्थानीय परिस्थितियों से परिचित नहीं होते थे, वे आमतौर पर कानूनगो द्वारा दी गई जानकारी पर ही भरोसा करते थे। कानूनगो को पारिश्रमिक के रूप में कुल राजस्व का 1 प्रतिशत दिया जाता था, लेकिन अकबर ने उन्हें अलग वेतन देना आरंभ कर दिया था।

(4) चौधरी - यह भी कानूनगो के समान एक महत्वपूर्ण राजस्व पदाधिकारी था। अधिकांश मामलों में वह उस क्षेत्र का प्रमुख जमींदार होता था। उसका काम केवल कर वसूली में सहायता करना था। वह छोटे जमींदारों की जमानत भी दिया करता था।

चौधरी तकावी ऋण का बंटवारा करता था और उसके भुगतान की जिम्मेदारी भी लेता था। वह कानूनगो पर नियंत्रण रखने का कार्य भी करता था।

दस्तूर-उल अमल-ए आलमगीरी से पता चलता है कि चौधरी को कोई बहुत ज्यादा भत्ता नहीं दिया जाता था। परन्तु यह संभव है कि उसे काफी मात्रा में राजस्व मुक्त अनुदान (इनाम भूमि) मिलते थे।

(5) शिकदार - शेरशाह के अधीन यह राजस्व प्रभारी था और कानून एवं व्यवस्था की देख-रेख करता था। ऐसा लगता है कि अकबर के शासनकाल के उत्तरार्द्ध में वह करोड़ी का अधीनस्थ अधिकारी हो गया। अबुल फजल लिखता है कि आपात स्थिति में शिकदार भुगतान का आवश्यक अनुमोदन दे सकता था। बाद में उसे अपना अनुमोदन दरबार में प्रस्तुत करना होता था। अपने अधिकार क्षेत्र में हुई चोरियों के लिए उसे ही जिम्मेदार ठहराया जाता था।

(6) मुकद्दम और पटवारी - मुकद्दम और पटवारी ग्रामीण स्तर के अधिकारी थे। मुकद्दम गांव का मुखिया होता था। अपनी सेवा के बदले में उसके द्वारा वसूले गये राजस्व में से 2.5 प्रतिशत हिस्सा उसे प्राप्त होता था।

पटवारी गांव की जमीन, प्रत्येक किसान द्वारा जोते जाने वाले खेतों, फसल के प्रकारों और बंजर भूमि का हिसाब-किताब रखता था। उसके बहीखाते में किसानों के नाम लिखे होते थे। बितिकची बही सम्बन्धी जरूरी कागज और आँकड़े तैयार करता था जिसके आधार पर कर निर्धारण और वसूली होती थी।

प्रत्येक परगने में दो अन्य अधिकारी होते थे। फोतेदार या खजानादार (कोशपाल) और कारकुन या बितिकची (लेखपाल)। शेरशाह के शासनकाल में दो कारकुन (लिपिक) नियुक्त किये जाते थे, एक हिन्दी लिपिक और दूसरा फारसी लिपिक। इनका प्रमुख कार्य आँकड़े तैयार करना था। लेकिन 1583-84 से लेखा के लिए केवल फारसी भाषा का उपयोग होने लगा।

फौजदार केन्द्रीय शासन की सैन्य और पुलिस शक्ति का प्रतिनिधित्व करता था। उसका एक मुख्य कार्य जोरतलब (जिनके विरुद्ध राजस्व वसूल करने के लिए शक्ति का प्रयोग करना पड़े) जमींदारों और किसानों से राजस्व वसूल करने में जागीरदार या आमिलकी सहायता करना था।

वकाया नवीस और सवानिह निगार (समाचार लेखक) का कार्य अनियमितताओं और दमनात्मक कार्यवाईयों से सम्बन्धित मामलों को केन्द्र तक पहुंचना था।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सल्तनतकालीन सामाजिक-आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- सल्तनतकालीन केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में प्रांतीय शासन प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  5. प्रश्न- सल्तनत के सैन्य-संगठन पर प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत काल में उलेमा वर्ग की समीक्षा कीजिए।
  7. प्रश्न- सल्तनतकाल में सुल्तान व खलीफा वर्ग के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  8. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  9. प्रश्न- मुस्लिम राजवंशों के द्रुतगति से परिवर्तन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजतंत्र की विचारधारा स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के स्वरूप की समीक्षा कीजिए।
  12. प्रश्न- सल्तनत काल में 'दीवाने विजारत' की स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  13. प्रश्न- सल्तनत कालीन राजदरबार एवं महल के प्रबन्ध पर एक लघु लेख लिखिए।
  14. प्रश्न- 'अमीरे हाजिब' कौन था? इसकी पदस्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  15. प्रश्न- जजिया और जकात नामक कर क्या थे?
  16. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में राज्य की आय के प्रमुख स्रोत क्या थे?
  17. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन भू-राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में सुल्तान की पदस्थिति स्पष्ट कीजिए।
  19. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन न्याय-व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  20. प्रश्न- 'उलेमा वर्ग' पर एक टिपणी लिखिए।
  21. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों में सल्तनत का विशाल साम्राज्य तथा मुहम्मद तुगलक और फिरोज तुगलक की दुर्बल नीतियाँ प्रमुख थीं। स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- विदेशी आक्रमण और केन्द्रीय शक्ति की दुर्बलता दिल्ली सल्तनत के पतन का कारण बनी। व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- अलाउद्दीन की प्रारम्भिक कठिनाइयाँ क्या थीं? अलाउद्दीन के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि उसने इन कठिनाइयों से किस प्रकार निजात पाई?
  24. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार व बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण विजय का विवरण दीजिए। उसकी दक्षिणी विजय की सफलता के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  27. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की विजयों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- 'खिलजी क्रांति' से क्या समझते हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  30. प्रश्न- खिलजी शासकों के काल में स्थापन्न कला के विकास पर टिपणी लिखिए।
  31. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का एक वीर सैनिक व कुशल सेनानायक के रूप में मूल्याँकन कीजिए।
  32. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की मंगोल नीति की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
  33. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजनीति क्या थी?
  34. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  35. प्रश्न- अलाउद्दीन की हिन्दुओं के प्रति नीति स्पष्ट करते हुए तत्कालीन हिन्दू समाज की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजस्व सुधार नीति के विषय में बताइए।
  37. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का प्रारम्भिक विजय का वर्णन कीजिये।
  38. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की महत्त्वाकांक्षाओं को बताइये।
  39. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधारों का लाभ-हानि के आधार पर विवेचन कीजिये।
  40. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की हिन्दुओं के प्रति नीति का वर्णन कीजिये।
  41. प्रश्न- सूफी विचारधारा क्या है? इसकी प्रमुख शाखाओं का वर्णन कीजिए तथा इसके भारत में विकास का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों, विशेषताओं और मध्यकालीन भारतीय समाज पर प्रभाव का मूल्याँकन कीजिए।
  43. प्रश्न- मध्यकालीन भारत के सन्दर्भ में भक्ति आन्दोलन को बतलाइये।
  44. प्रश्न- समाज की प्रत्येक बुराई का जीवन्त विरोध कबीर के काव्य में प्राप्त होता है। विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- मानस में तुलसी द्वारा चित्रित मानव मूल्यों का परीक्षण कीजिए।
  46. प्रश्न- “मध्यकालीन युग में जन्मी, मीरा ने काव्य और भक्ति दोनों को नये आयाम दिये" कथन की समीक्षा कीजिये।
  47. प्रश्न- सूफी धर्म का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा।
  48. प्रश्न- राष्ट्रीय संगठन की भावना को जागृत करने में सूफी संतों का महत्त्वपूर्ण योगदान है? विश्लेषण कीजिए।
  49. प्रश्न- सूफी मत की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के प्रभाव व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  51. प्रश्न- भक्ति साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
  53. प्रश्न- भक्ति एवं सूफी सन्तों ने किस प्रकार सामाजिक एकता में योगदान दिया?
  54. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के कारण बताइए
  55. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की क्या दशा थी? इस काल की एकमात्र शासिका रजिया सुल्ताना के विषय में बताइये।
  56. प्रश्न- "डोमिगो पेस" द्वारा चित्रित मध्यकाल भारत के विषय में बताइये।
  57. प्रश्न- "मध्ययुग एक तरफ महिलाओं के अधिकारों का पूर्णतया हनन का युग था, वहीं दूसरी ओर कई महिलाओं ने इसी युग में अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज करायी" कथन की विवेचना कीजिये।
  58. प्रश्न- मुस्लिम काल की शिक्षा व्यवस्था का अवलोकन कीजिये।
  59. प्रश्न- नूरजहाँ के जीवन चरित्र का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। उसकी जहाँगीर की गृह व विदेशी नीति के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
  60. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की दशा कैसी थी?
  61. प्रश्न- 1200-1750 के मध्य महिलाओं की स्थिति को बताइये।
  62. प्रश्न- "देवदासी प्रथा" क्या है? व इसका स्वरूप क्या था?
  63. प्रश्न- रजिया के उत्थान और पतन पर एक टिपणी लिखिए।
  64. प्रश्न- मीराबाई पर एक टिप्पणी लिखिए।
  65. प्रश्न- रजिया सुल्तान की कठिनाइयों को बताइये?
  66. प्रश्न- रजिया सुल्तान का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  67. प्रश्न- अक्का महादेवी का वस्त्रों को त्याग देने से क्या आशय था?
  68. प्रश्न- रजिया सुल्तान की प्रशासनिक नीतियों का वर्णन कीजिये?
  69. प्रश्न- मुगलकालीन आइन-ए-दहशाला प्रणाली को विस्तार से समझाइए।
  70. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व का निर्धारण किस प्रकार किया जाता था? विस्तार से समीक्षा कीजिए।
  71. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व वसूली की दर का किस अनुपात में वसूली जाती थी? ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर क्षेत्रवार मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व प्रशासन का कालक्रम विस्तार से समझाइए।
  73. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व के अतिरिक्त लागू अन्य करों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान मराठा शासन में राजस्व व्यवस्था की समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- शेरशाह की भू-राजस्व प्रणाली का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  76. प्रश्न- मुगल शासन में कृषि संसाधन का वर्णन करते हुए करारोपण के तरीके को समझाइए।
  77. प्रश्न- मुगल शासन के दौरान खुदकाश्त और पाहीकाश्त किसानों के बीच भेद कीजिए।
  78. प्रश्न- मुगलकाल में भूमि अनुदान प्रणाली को समझाइए।
  79. प्रश्न- मुगलकाल में जमींदार के अधिकार और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- मुगलकाल में फसलों के प्रकार और आयात-निर्यात पर एक टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- अकबर के भूमि सुधार के क्या प्रभाव हुए? संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  82. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व में राहत और रियायतें विषय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- मुगलों के अधीन हुए भारत में विदेशी व्यापार के विस्तार पर एक निबंध लिखिए।
  84. प्रश्न- मुग़ल काल में आंतरिक व्यापार की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण कीजिए।
  85. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापारिक मार्गों और यातायात के लिए अपनाए जाने वाले साधनों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- मुगलकाल में व्यापारी और महाजन की स्थितियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- 18वीं शताब्दी में मुगल शासकों का यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  88. प्रश्न- मुगलकालीन तटवर्ती और विदेशी व्यापार का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  89. प्रश्न- मुगलकाल में मध्य वर्ग की स्थिति का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  90. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार के प्रति प्रशासन के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  91. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार में दलालों की स्थिति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  92. प्रश्न- मुगलकालीन भारत की मुद्रा व्यवस्था पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  93. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान बैंकिंग प्रणाली के विकास और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान प्रयोग में लाई जाने वाली हुण्डी व्यवस्था को समझाइए।
  95. प्रश्न- मुगलकालीन मुद्रा प्रणाली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- मुगलकाल में बैंकिंग और बीमा पर प्रकाश डालिये।
  97. प्रश्न- मुगलकाल में सूदखोरी और ब्याज की दर का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  98. प्रश्न- मुगलकालीन औद्योगिक विकास में कारखानों की भूमिका का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  99. प्रश्न- औरंगजेब के समय में उद्योगों के विकास की रूपरेखा का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- मुगलकाल में उद्योगों के विकास के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों के पद और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान कारीगरों की आर्थिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- 18वीं सदी के पूर्वार्ध में भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रवृत्ति की व्याख्या कीजिए।
  103. प्रश्न- मुगलकालीन कारखानों का जनसामान्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
  104. प्रश्न- यूरोपियन इतिहासकारों के नजरिए से मुगलकालीन कारीगरों की स्थिति प

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